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ख्वाबो का आसियाना
ख्वाबो का आसियाना
कैसा हो जहाँ दूर तक बस शांति
और हरियाली का पहरा हो

जहाँ शोर शराबे की कोई धुन ना हो
जहाँ बस मै और मेरे अपने हो
जहाँ मेरी भावनाएं खुद तुम तक पहुंच सके
इसका कोई जरिया मौजूद ना हो


अपनों का अपनों से मिलने के लिए
कोई खास वक़्त की जरूरत ना हो
कुछ वक़्त ऐसा हो जहाँ बैठे सभी बाते करे
अपने दिल मे जो है वो बस कहते रहे


अपने रिश्तो पे भरोसा इतना हो
की दुसरो से पहले वो बात अपनों तक हो

ऐसा ख्वाबो का आसियाना बनाना चहता हु, जहाँ अपनों अपनों के संग नहीं बल्कि अपनों के दिलो मे मौजूद हो, दूरियों से बेहतर करीब अच्छा है

दुसरो के बजाय अपनों सँग सजा करना आसान है
ये दुनिया है जिसका वसूल बस इतना सा है
खून के रिश्ते ही आते है काम
अगर उनमे मजबूती हो बेमिसाल
दुसरो के रिश्ते जोड़ने से बेहतर है
खुद के रिश्ते मजबूती से बनाये

भाई - बहन का चाचा - चाची का बड़े पिता जी - बड़ी मा का और घर मे सास - बहु का भैया -भाभी का
सभी रिश्ते इन्ही से उपजते है, तो इन्हे संजोय
और बेहतर करे