ख्वाबो का आसियाना
ख्वाबो का आसियाना
कैसा हो जहाँ दूर तक बस शांति
और हरियाली का पहरा हो
जहाँ शोर शराबे की कोई धुन ना हो
जहाँ बस मै और मेरे अपने हो
जहाँ मेरी भावनाएं खुद तुम तक पहुंच सके
इसका कोई जरिया मौजूद ना हो
अपनों का अपनों से मिलने के लिए
कोई खास वक़्त की जरूरत ना हो
कुछ वक़्त ऐसा हो जहाँ बैठे सभी बाते करे
अपने दिल मे जो है वो बस कहते रहे
अपने रिश्तो पे...
कैसा हो जहाँ दूर तक बस शांति
और हरियाली का पहरा हो
जहाँ शोर शराबे की कोई धुन ना हो
जहाँ बस मै और मेरे अपने हो
जहाँ मेरी भावनाएं खुद तुम तक पहुंच सके
इसका कोई जरिया मौजूद ना हो
अपनों का अपनों से मिलने के लिए
कोई खास वक़्त की जरूरत ना हो
कुछ वक़्त ऐसा हो जहाँ बैठे सभी बाते करे
अपने दिल मे जो है वो बस कहते रहे
अपने रिश्तो पे...