...

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मेरे अहसास।
जीवनपथ पर चलते हुए,
कुछ हमसफ़र मिले,
कुछ छूट गए।
देकर पुलिन्दा यादों का,
न जाने वो कहां खो गए।
अनजाने ही सही,
मगर मधुर अहसासों का,
गुंजन हमारी झोली में छोड़ गए।
कैसे याद करें हम उनको,
खुशियाँ दीं हैं जिन्होंने सबको,
उनकी मधुर स्मृतियों का अहसास,
रह रहकर झकझोरता है मुझको,
रहें कहीं भी वो मगर,
याद सदा वे आयेंगें मुुझको।
रहें चाहे कितने भी दूर मगर,
दुआओं में हमेशा याद आयेंगें हमको।
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© mere alfaaz