...

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...उड़ान अभी बाकी है l
मिलते हैं मुझसे अक्सर
अकेले में
मेरे ही ख्वाब कभी
जब और कोई नही होता
मेरे करीब
उनसे ही बाते हो जाती हैं
यूं ही कभी कभी
फिर शुरु होता है
दौर शिकवे शिकायतों का
वो कहते हैं
मैं रुक सी गई
क्या मैं थक गई
मैं मुस्कुराती उनकी नादानी पर
कहती उनसे
अभी शाम बाकी है
मैं थम जाऊं तो कैसे अभी
अभी उड़ान बाकी है


© Shraddha S Sahu