...

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साथ निभाने का दम रखता हूं
झूठे बोल अपनी जुबां पर कम रखता हूं।
रूठो को मानने का जुनून हरदम रखता हूं।।
रूह में मौजूदगी तेरी आंखे नम रखता हूं।।
मैं साथ निभाने का दम रखता हूं।।

माना थोड़ी कड़क सी आवाज है मेरी
तुम्हें प्यार से समझना चाहत है मेरी
मेरी आंखो में सरूर तेरी मोहोब्बत का
रूह की रूहानियत थोड़ी नरम रखता हूं।।
मैं साथ निभाने का दम रखता हूं।।

हर बार झुकूंगा तुम्हें मानने के लिए
हर बार रुकूंगा तुम्हें रिझाने के लिए
तुम गहरे भाव के मोती हो दिल मेरे के
इसीलिए तुम्हें रूहे का स्तंभ रखता हूं।।
मैं साथ निभाने का दम रखता हूं।।

तुम्हें अपना बनाने के लिए बारिश बन जाऊ
तेरी मोहोब्बत वाली गहरी सिफारिश बन जाऊ
मनोज को हो जाए बस दीदार अपने पुष्प का
अपनी आंखों में गैरो का दीदार कम रखता हूं।।
मैं साथ निभाने का दम रखता हूं।।
© Manoj Vinod-SuthaR