...

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रात
रात समझ आई किसको,
सन्नाटे में जो खोए हैं,
चुप्पियों की परछाइयों में,
अनकहे राज जो सोए हैं।

अंधेरों का ये मंज़र है,
आँखों में जो ठहर गया,
धुंधले सपनों के सिलसिले,
बस ख़ामोशी में उतर गया।

बेजान सी ये रातें हैं,
जिनमें कोई आवाज़ नहीं,
पर दिल...