...

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बेटियां
याद रखना हमेशा
कि ओस की बूँद सी होती है ये बेटियाँ
खुरदरा हो जो सपर्श तो रोती है बेटियाँ

सोचते है लोग कि रोशन करेगा कुल को बेटा
पर भूल जाते हैं सब कि दो कुलों कि लाज और
परिवारों को जोड़ती हैं बेटियाँ

होगा अगर सोना बेटा तो कोई नहीं है शक़ इसमें
कि पारस होती हैं यह बेटियाँ

यह अक्षर(माँ) है वह जो सबसे जरुरी है
बिना जिसके वर्णमाला हर एक जिंदगी की अधूरी है

© Ankush Sharma