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मन की व्यथा
कुछ मोल तो सबने चुनना है।
बातो की अपनी गाथा है।
कुछ आशा है, कुछ निराशा है।
कुछ है पावन, कुछ अपने मन की बाधा है।

सबका अपना, सृजन है।
सबके मन मे, सपना है।
किस चित् मे कौन बसे ये अपनी अपनी घटना है।

व्यथा मन की है।
ये चित् की दुर्घटना है।
सबके अपने अवसर है।
कुछ चुनने के, कुछ बनने के।

व्यथित मार्ग मे बहने।
या उत्कृष्ट मार्ग मे सवरने की अपनी अपनी चेतना है।

वहम पलाना और बढ़ाना।
फिर चित् को और बुझाना।
ये अपनी अपनी कल्पना है।

अपना राह चलना, उत्तम होना।
जो जरूरी उसी को देखना।
ये अपने अपने जीवन की आशा है।