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भीड़ अर्थात लोगों का समूह
भीड़ अर्थात लोगों का समूह

पहचान छिनती भीड़ हमेशा
न सच्चा साथी उसे सुनो
तुमसे तुमको अलग वो करती, तुम कभी न तुम रहो।।

स्वतंत्रता छीन तुम्हे गुलाम बनाती
अपराधी घनघोर बनो
व्यक्ति कभी न बड़ा अपराधी होता, यदि भीड़ की न तुम कभी सुनो।।

चिंता, शोक, और दुःख से व्याप्त हो
उलझनों में हर रोज़ पड़ो
पुलिस, कोर्ट-कचहरी के चक्कर कटते
अगर भीड़ से न तुम कभी बचो।।

क्रांति दिलाती भीड़ हमेशा
दौराई न इस बात में हो
जितना देती उससे ज्यादा रुलाती, जो गर्व की बात न हो।।

परमात्मा से सदा दूर ले जाती
आत्मज्ञान भी कभी न हो
भेड़ चाल में जा उलझते, जग में भी अंजान रहो।।