उठो वीर जवानों..
क्यों शिथिल सी हो गई तुम्हारी रफ्तार !,
देश के जांबाज सिपाही हो तुम,
बोलो ! मां के सपनों को अब कौन करेगा साकार!।।
बोलती बंद कर दो सबकी,
खेलो अब खून की होली।
मार गिराओ देश के दुश्मनों को,
दे दना दन गोली।।
बिचारने का अब नहीं समय रहा,
बहुत हो चुका खून खराबा,,
सिवाय जंग के ना कोई वजह रहा।।
धूल चटा दो नापाक हरकतों को,
सर कलम कर दो उनकी...
देश के जांबाज सिपाही हो तुम,
बोलो ! मां के सपनों को अब कौन करेगा साकार!।।
बोलती बंद कर दो सबकी,
खेलो अब खून की होली।
मार गिराओ देश के दुश्मनों को,
दे दना दन गोली।।
बिचारने का अब नहीं समय रहा,
बहुत हो चुका खून खराबा,,
सिवाय जंग के ना कोई वजह रहा।।
धूल चटा दो नापाक हरकतों को,
सर कलम कर दो उनकी...