खो गये जब शहर में
#खोईशहरकीशांति
जब मै दिल्ली गया
तब मन आकुल हो गया
पता न सूजे न राह सूझे
चलते-चलते पाँव सूजे।
जिससे भी पूछा पता
उसने कहा मुझे नही पता
घूरकर देखा सभी ने
फिर मुँह मोड़ा सभी ने।
कुछ समझ में आता नही था
भ्रम मन से जाता नही था
सभी अपने में व्यस्त थे
रोज के अभ्यस्त थे।
बङी मुश्किलों का सफर
नही हो रहा था पते का सहर
सभी को एक जवाब आता था
जो मुझे अब पता था।
बहुत मशक्कत के बाद
सही जगह पहुँचा था
दो मकान आमने सामने थे
जिनमें एक का पता लक्ष्य था।
सामने वाले मकान में पूछा
क्या जानते आप यह पता
जो भी कारण हो
मुस्कुराते हुए कहा मुझे नही पता।
© Rakesh Kushwaha Rahi
जब मै दिल्ली गया
तब मन आकुल हो गया
पता न सूजे न राह सूझे
चलते-चलते पाँव सूजे।
जिससे भी पूछा पता
उसने कहा मुझे नही पता
घूरकर देखा सभी ने
फिर मुँह मोड़ा सभी ने।
कुछ समझ में आता नही था
भ्रम मन से जाता नही था
सभी अपने में व्यस्त थे
रोज के अभ्यस्त थे।
बङी मुश्किलों का सफर
नही हो रहा था पते का सहर
सभी को एक जवाब आता था
जो मुझे अब पता था।
बहुत मशक्कत के बाद
सही जगह पहुँचा था
दो मकान आमने सामने थे
जिनमें एक का पता लक्ष्य था।
सामने वाले मकान में पूछा
क्या जानते आप यह पता
जो भी कारण हो
मुस्कुराते हुए कहा मुझे नही पता।
© Rakesh Kushwaha Rahi