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चंद मोहलत तो दे देते
चंद मोहलत तो देते मुझे जज्बात सुनाने के लिए,
इस तरह भी रूठ जाता है कोई ताउम्र रूलाने के लिए ।
तुम्हारी आँखो को बङी शिद्दत से पढ़ा था मैंने ,
बेशुमार मोहब्बत छुपी थी मुझसे जताने के लिए।
तुम्हे अपना समझकर क्या खता कर दी मैने
जो आए मेरी वज्म में गैरो की तरह जाने के लिए।
दिल को सुकून आता है तेरी यादों में डूब जाने से
एक सुहाना भरम ही छोङ जाते लौटकर आने के लिए ।
मेरे मंदिर का जलता हुआ दीपक बुझ रहा है राही
किसी शाम एक चिराग तो जला देते मेरी जिंदगी के लिए।
© Rakesh Kushwaha Rahi
इस तरह भी रूठ जाता है कोई ताउम्र रूलाने के लिए ।
तुम्हारी आँखो को बङी शिद्दत से पढ़ा था मैंने ,
बेशुमार मोहब्बत छुपी थी मुझसे जताने के लिए।
तुम्हे अपना समझकर क्या खता कर दी मैने
जो आए मेरी वज्म में गैरो की तरह जाने के लिए।
दिल को सुकून आता है तेरी यादों में डूब जाने से
एक सुहाना भरम ही छोङ जाते लौटकर आने के लिए ।
मेरे मंदिर का जलता हुआ दीपक बुझ रहा है राही
किसी शाम एक चिराग तो जला देते मेरी जिंदगी के लिए।
© Rakesh Kushwaha Rahi
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