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दिल्ली की गर्म रातें
दिल्ली की गर्म रातें, यादों की तस्वीरें,
डायरी में लिखे अल्फाज़, दिल के जज़्बातों की तक़रीरें।

हवा में उड़ती सिगरेट का धुंआ,
आँखों में छलकता दर्द का झुंआ।

दिल टूट चुका है, मगर ये रातें हैं बेकरार,
हर पल करती हैं तन्हाई का एहसास, यार।

यादें आती हैं तेरी, मुस्कान तेरी,
आँखों में बस जाता है तेरा ही चेहरा, बेवजह।

डायरी में लिखता हूँ मैं, अपने दर्दों की दास्ताँ,
हर लफ्ज़ में उतर आती है तेरी ही फ़रियाद, जहाँ।

सिगरेट का हर कश, जला जाता है मेरा दिल,
हर लम्हा होता है तन्हाई का, यार, इस बेरंग महफ़िल।

दिल्ली की ये गर्म रातें, कब होंगी ठंडी,
कब मिलेगा सुकून इस तन्हा दिल को, ये है बड़ी पहेली।

© नि:शब्द