...

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अद्वितीय मुलाकात
#EmotionalDuality
हंसी के संग गम,
कभी ठट्ठा कहीं नयन नम।
बिखरे अलगाव,
अनोखा भावनात्मक लगाव।

एक होता मानव,
संत बने कब बनता दानव?
विवेक का खेल,
प्रतिद्वंदीयों से भी कराये मेल।

मनोदशा है बात,
कराये अद्वितीय मुलाकात,
तोला कभी माशा,
रचाये भाव ही सब देख तमाशा।

चलिए संभलकर,
बदलेंगे ये संभवत हर पहर,
अनोखा है झूला,
बचाये इनसे सदैव केवल मौला।


© Navneet Gill