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दो चेहरे
जो चल लिया उसे सफ़र कह लिया
जो छोड़ दिया वो हार ,
जो देख लिया वो ताजुरबा कह लिया।
जो ना देखा वो नाकामयाबी कह दी
पा ली तो हैसियत कह दी
जो ना मिला सो नसीब
चू ली तो दिलचस्पी खो दी
जो ना चुआ तो तरप
जो मुस्कुराए तो अहमियत ना मिली
जो मुस्कान नहीं तो तकबुर कह लाई,
जो मुहब्बत की तो आवारा कह दिया
जो बिना मुहब्बत वो जल्लाद।
जो अश्क बहे तो कमजोर हो गए
जो ना बहाए वो कठोर ,
जो दिल बहा कलम से वो नज्म बन गए
जो दिल बहा आँखों से उसे "अश्क" कह गए |
© ---AFNAN SIDDIQUE .
जो छोड़ दिया वो हार ,
जो देख लिया वो ताजुरबा कह लिया।
जो ना देखा वो नाकामयाबी कह दी
पा ली तो हैसियत कह दी
जो ना मिला सो नसीब
चू ली तो दिलचस्पी खो दी
जो ना चुआ तो तरप
जो मुस्कुराए तो अहमियत ना मिली
जो मुस्कान नहीं तो तकबुर कह लाई,
जो मुहब्बत की तो आवारा कह दिया
जो बिना मुहब्बत वो जल्लाद।
जो अश्क बहे तो कमजोर हो गए
जो ना बहाए वो कठोर ,
जो दिल बहा कलम से वो नज्म बन गए
जो दिल बहा आँखों से उसे "अश्क" कह गए |
© ---AFNAN SIDDIQUE .
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