...

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दमड़ी

चमड़ी चाहे बिक जाये
बाज़ार में बिना मोल
पर बच जाए दमड़ी
भैया दमड़ी है अनमोल
भैया दमड़ी है अनमोल...

जोड़ जोड़ कर पाई पाई
हमने संपत्ति है बनाई
जिस संपत्ति की खातिर
लड़ जाते है भाई भाई
जिसकी खातिर करते रहते
जीवन भर हम झोल
भैया दमड़ी है अनमोल
भैया दमड़ी है अनमोल...

तन को खूब तपया हमने
कुंदन सा चमकाया हमने
इत्र गुलाब लगाकर अपनी
कया को महकाया हमने
क्या ये सब संभव हो पता
बिना चुकाये मोल
भैया दमड़ी है अनमोल
भैया दमड़ी है अनमोल..

मैने स्वतः जलाई चमड़ी
तब जाकर पाई है दमड़ी
मिहनत से है इसे कमाया
जीवन का सुख चैन गँवाया
तब जाकर पाई है दमड़ी
चूका के सच्चा मोल
भैया दमड़ी है अनमोल
भैया दमड़ी है अनमोल..

© kaushki kaushal