...

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मैंने तुमसे सच्चा प्यार किया है
तुम मानो बात मेरी..
मैंने तुमसे सच्चा प्यार किया है।

नहीं आकर्षण से आकर्षित मैं
नहीं रूप राशि का प्यासा हूँ।
तुम बस इतना समझो
मैं तुम्हारी ही अभिलाषा हूँ।
सत्कार तुम्हारा करता हूँ
तुम सहज सुलभ रह सकते हो।
पास हमारे आकर तुम
सुख-दुख मुझसे कह सकते हो।
कभी छलूँगा नहीं तुम्हें
हर पल मैं साथ निभाऊंगा।
तुम्हारे हर सुख दुख में
मैं जीवन भर काम आऊंगा।
बचन तुम्हें मैं देता हूँ
सच्चा तुमसे इजहार किया है।
तुम मानो बात मेरी..
मैंने तुमसे सच्चा प्यार किया है।

तुम अमूल्य धरोहर हो
हर पल तुम्हें संभालूंगा।
विस्मृति नहीं कभी होना
पलकों पर तुम्हें बिठा लूँगा।
निसकंटक राज करो तुम
मेरे दिल के सिंहासन पर।
तुम आन बिराजो प्राण प्रिये
मेरे जीवन के शासन पर।
उपकार तुम्हारा मानूंगा
तुम सहर्ष पदार्पण करो सही
सब कुछ अर्पण कर सकता हूँ
एक इशारा तो करो सही।
जीवन में हमारे आकर के
हम पर तुमने उपकार किया है।
तुम मानो बात मेरी...
मैंने तुमसे सच्चा प्यार किया है।

जब तक जान है इस तन में
तब तक साथ निभाऊँगा।
निर्वाध जियो तुम खुल करके
हर नाज तुम्हारे उठाऊँगा।
तुम मुक्तक हो मेरी कविता का
मेरे गजलों की रवानी हो।
प्रेम कथा के मिलन सर्ग का
अकथनीय अमिट कहानी हो
तुम्हारे ही खुशबू से
जीवन महकता रहता है।
आशाओं के भोर तले
मकरंद मचलता रहता है।
साथ तुम्हारा मेरे मन में
जीवन का संचार किया है।
तुम मानो बात मेरी...
मैंने तुमसे सच्चा प्यार किया है।

© राकेश कुमार सिंह

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