...

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देखो,सुनो
सुनों उन आवाजों को जो पुकार रही तुम्हे,
देखो उन नज़रों को जो निहार रही तुम्हे।
थाम लो उन हाथों को जो तुम्हारी ओर बढ़ रहे,
उम्मीदों को बुझने न दो जो है,जिसकी आस है तुमसे।
न करो भेदभाव न करो अदलाबदला हर बात पर।
कमाया नाम,धन केवल आपका ही नही है,
उसे प्राप्त करने में कईयों का योगदान शामिल है।
अकेले ही सुख का भोग करना क्या उचित है,
सबके सुख में अपना सुख यही संतुष्टि देगा तुम्हे।
सुनों उन आवाजों को जो पुकार रही तुम्हे,
देखो उन नज़रों को जो निहार रही तुम्हे।
संजीव बल्लाल १६/४/२०२४© BALLAL S