...

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इश्क़ या सजा
करते हो इश्क़, इश्क़ करना अच्छा है,
पर ये तो बताओ तुम्हारा इश्क़ कितना सच्चा है,
शराब अब बेअसर ही रहती है मुझपर,
ये तो तुम्हारी आंखों का नशा है जो मुझ पर चढ़ा है,
धड़कने मेरी बहुत तेज हो गई हैं,
ये आंखों ही आंखों में तुमने क्या कहा है,
तुम कुछ बोलती क्यों नहीं,
क्या तुमने भी मेरी आंखों को पढ़ा है,
इस जमाने से क्यों डरती हो,
ये जमाना कब किसी के साथ खड़ा रहा है
इजहार ए इश्क़ क्यों नहीं करती,
ये कौन है जो तुम्हारे ख्वाबों को जला रहा है,
राधा के प्रेम को मिसाल मानने वालों,
बताओ हमने कौन सा गुनाह करा है।
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