...

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सिर उठाओ और आसमान न मिले
सिर उठाओ और आसमान न मिले
सख्त ज़मीन पर पैर लड़खड़ाए

कुछ बिखरे बल्ब रोशनी फैला दे
फिर बना लो एक झूठा सँसार

एक बन्द तहखाना
काँचो की चार दीवारी

कुछ पा लो और इन्द्रियाँ तृप्त हो जाये
और चक्र ऐसा ही चलता जाए

निकलो तहखाने से
शोर मचाओ

कुछ न पाया हो
तो भी जश्न मनाओ

आज़ाद हो
लंबी साँस लो

सोचो गर सिर उठाओ आसमान न मिले
सख़्त जमीन पर पैर लड़खड़ाए।

© Karan