...

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इस होली तुम मेरे घर भी आओगे न?
बेरंग से इस रिश्ते में फिर रंग लाओगे न!
इस होली तुम मेरे घर भी आओगे न?

माना हमारे बीच बहुत तक़रार हुई है ,
बहुत बुरा भला कहा हमने एक दूसरे को,
मगर ये गीले शिक़वे तुम इस बार भुलाओगे न!
इस होली तुम मेरे घर भी आओगे न?

जानता हू, तुम्हारी आँखों से आंसू भी गिरे थे,
शायद मेरी वजह से तुम्हारी मुस्कान खो गयी थी,
लेकिन मेरे भी इस उदास चेहरे पर तुम गुलाल लगाओगे न!
इस होली तुम मेरे घर भी आओगे न?

याद है मुझे हम कैसे एक दूसरे के साथ खेला करते थे,
कभी तुम जीत जाते तो कभी मै हारता था,
ऐसे ही इस बार तुम मेरे साथ ये होली मनाओगे न!
इस होली तुम मेरे घर भी आओगे न?

पता है मुझे मुझसे ख़फ़ा हो तुम भी खुश नहीं हो,
मन तो मेरे बिना तुम्हारा भी बेचैन रहता है,
इस बार ये नाराज़गी मिटा मुझसे मिलने आओगे न!
इस होली तुम मेरे घर भी आओगे न?


© Utkarsh Ahuja