...

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कान्हा
बरस भई,नैनन को बरसे
बस सावन आती जाआती
तेरे दरस को बरसे बीत गए
माधवी कब तक प्यासी
बरस भई,नैनन को बरसे
वृंदावन भी राह निहारे
गोपियां रैनाआआ
मनमोहन बस बहुत हुई
अब पथराती नयना
युग युग बीतें मुरली मनोहर
धून सुनने की आतुरता
कैसे छिपाए ,तेरी दरस को
बंसी तेरी नहीं मिलती
बरस भई,नैनन को बरसे
राधा के तुम कृष्ण मुरारी
गोपियों के भी क्या
बंसी की धून वृंदा चाहे
पर वो तो टूट गया
क्या तुम रास रचाओगे फिर
निधिवन फिर नाचेगा
रास रचाओ गोपियों संग
प्रेम तो राधा की
हृदय में जब राधा तेरे जब
राधा में तू भी...
राधा नाम पुकारूं तो क्या
दर्शन कान्हा की
बरस भई,नैनन को बरसे
बस सावन आती जाआती


© Gitanjali Kumari

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