...

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धूप के वो दिन
बुआ के साथ बिताए वो धूप के दिन,
हमेशा मन में अभिमान जगाते हैं।
उस प्यार भरे संगठन में,
हम सब निरंतर बढ़ते चले गए।

प्यार से मालिश करने वाली बुआ,
हमारे दिलों में समाई हुई है।
जब भी उन्हें देखते हैं,
वो लड़ाईयां याद आ जाती है
जो हम सब पहले मालिश करवाने के लिए किया करते थे।

अब सब सपना लगने लगा है
पता नहीं कब बड़े हो गए हम,
किससे बड़े हुए ये हमें नहीं पता।
पर बुआ का प्यार और मालिश,
हमारी मानसिकता का आधार बना है।

धूप भी निकलती है शायद,
पर वह आनंद अब नहीं मिलता।
बुआ की मालिश अब भी होती है,
पर मैं बस देखता हूँ, विचार नहीं करता
के मेरी भी होगी क्योंकि मैं बड़ा जो हो गया।

वक्त ने गुज़रते हुए बड़ा किया हमें,
पर बुआ की प्यारी सी मालिश,
हमारी पुरानी यादों को ताजगी देती है।
धूप के वो दिन अब याद आते हैं,
जब हम धूप में सब साथ बैठा करते थे।

हम बड़े हो गए हैं, ज़िन्दगी की यात्रा में,
पर बुआ की मालिश हमारी रूह को छूती है।
धूप के वो दिन अब तक बाकी हैं,
उन्हें याद करके हम अपनी हँसी बनाते हैं।

आज भी जब सूर्य अपनी किरणों को फैलाता है,
बुआ को बहुत याद करते है कैसे,
बुआ की गोद में सर रखकर आनंद लेते थे हम,
उन अनमोल यादों को दिल से जीने लगते हैं।#DhoopKWoDin
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