...

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कहता है दिल कभी..
कहता है दिल कभी,
जाने दो मुझे कहीं।
मैं ही फ्री हूँ बस अब,
दिमाग को तो फुर्सत नहीं।

दिमाग सब सुन कहने लगा,
मुझे बहुत काम है भाई।
क्यों मुझे परेशान कर रहा,
मैं रुक गया तो तू ही देगा दुहाई।

कहा-सुनी होने लगी दोनों में, और
यह सब सी.एन.एस. भी देख रहा।
सबर का बाँध जब टूटा उसका
शांत हो जाओ, वह कहने लगा।

अरे भाई, क्यों परेशान कर रहे,
दिमाग को काम क्यों नहीं करने दे रहे?
दिल ने कहाँ फिर ये कबसे काम कर रहे,
क्यों नहीं मेरी बात मान रहे?

सी.एन.एस ने फिर बोला दिमाग से,
काम में व्यस्त देख रहा मैं तुम्हें कबसे।
चलो उठो, बहुत हो गया काम अब,
जाओ कहीं थोड़ा घूम आओ अब।

दिमाग ने फिर आदेश है माना,
"ले चल दिल, जहाँ तुझे है जाना"।
दिल ने फिर दिमाग की बात है मानी,
ले गया राम राजा मंदिर, ओरछा में जानी।

जय श्री राम। 🕉
© Ayush Sengar