...

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जीवन एक खोज
चिंतन यदि करना है तो स्वे चिंतन कर लो,

पर (दूसरों के)चिंतन से कुछ नहीं पाओगे।


युगों युगों तक चित्त पर बोझ लिये,

ख़ुद की तलाश पूरी नहीं कर पाओगे।


तुलना यदि करनी हो तो,

स्वे तुलनातमक सोच राखो।

हर कोई किसी दूसरे को ढूंढता है,

तुम तो ख़ुद की खोज करो।


सपने अगर देखने हैं तो,

स्वयं अपनी परख तुम रोज़ करो,

बिना रुके, बिना डिग्गे ,उँचाई को छू लोगे,
हार जाने का कभी अफसोस ना करो।


सुना है अक्सर लोगों को पूछते हुए,

ज़िंदगी का मकसद क्या है?

ख़ुद अपने अस्तित्व को निखारना ही मकसद है,

मकसद की तलाश

ना अब और करो।
© Haniya kaur