...

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तुम नहीं थे
तुमसे अलग हो कर
मैं रोती रही महीनो तक

फिर जाने कितनी कविताएं लिखी
जिनमे मैने तुम्हे दिए उलाहने,
शिकवे शिकायतें किया
लानतें भेजी तुम्हे
सब कर के देख लिया

पर सुकून
सुकून नहीं मिला
ये सब करके भी

जब खुद को टटोला
तो पाया
जो सुकून
तुम्हे माना था
इतने साल तक
वो तुम नहीं थे
वो तो मेरे अंदर था

मेरा सुकून
मेरी बेचैनियाँ
सब
मैं थी
तुम नहीं

तुम्हे मानना भ्रम था
वो भ्रम जिसे
सच माना बरसों तक

तुमसे अलग हो कर
सच के करीब
बहुत करीब हूं अब
तो जाना!
शुक्रिया
मुझे छोड़ कर जाने के लिए

मुझको मुझसे मिलवाने के लिए भी
शुक्रिया!

©प्रिया सिंह
16.03.23
© life🧬