...

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कसक ( कविता )
बेचारी नही , तुम शक्ति पूण॔ नारी हो
तुम उगते सूरज की नही, किरण
तुम चँदा की हो चाँदनी
प्रिय , तुम खुद ही मे क्यो सिमट रही
क्या मेरा प्यार ही इसकी वजह है
मै हूँ दीवाना तेरा
पर इजहार करने से डरता हूँ ।
अगर मेरे प्यार की कसक है तुममें ,
तो तुम मेरे संग चलो , प्रिय
मै भी तुम्हारे संग चलता हूँ
और जन्नत में कदम रखता हूँ ।

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