...

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" छोड़ दिया "
" छोड़ दिया "

हमने अरमानों को पालना छोड़ दिया है..।
यक़ीन मानो अब ख़्वाबों को संजोना छोड़ दिया है..।
हादसों के लिए पछताना छोड़ दिया है..।
बेगै़रतों के वास्ते अब हमने जीना छोड़ दिया है..।

कटी पतंग को हमने पेंच देना छोड़ दिया है..।
ज़माने से एतबार करना छोड़ दिया है..।
जिन्दगी से शिक़ायत करना छोड़ दिया है..।
रुसवाई को लगा कर गले से अब रोना छोड़ दिया है..।

खुद को नए बयार के लिए तैयार कर लिया है..।
दर्दे-ग़म को भी खुद से छुपाना अब हमने सीख लिया है..।
अब स्वांसें भरना और छोड़ना भी हमने त्याग दिया है..।
ऊपर वाले से हमने फ़रियाद करना छोड़ दिया है..।

जमाने की दिखावटी महफ़िल में शामिल होना भी जाने कब से छोड़ दिया है..!

🥀 teres@lways 🥀