...

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दिल का आलम
विरह में आँसुओं की जलधारा पल- पल बहती जाये
जो दूरी हो पल भर की बिना तेरे दिल रह न पाये
जीवन के हर मोड़ पर हमने प्रतिक्षा की,
जबसे तुम गए हो क्या बताए क्या है दिल का आलम

हर इक आह पर बस साँस अटक जाती है
ए सनम! सफ़र ज़िन्दगी का तुम बिन अधूरा है
इंतज़ार है हमें आपके आने का तुम क्या जानो,
बिन तेरे गुजरते है कैसे, अब आ भी जाओ, मेरे बालम

अब हसरत इतनी है, तेरी सोहबत में ही दिन गुजरे,
अब हर इक रातें कभी तुमसे रुठुं, कभी तुम्हें मनाऊं
मोहब्बत बेपनाह करूँ, आकर लगा ले गले से मुझे,
तो इस दिल का आलम से मैं निजात पाऊँ

Usha patel