...

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"सुबह का सूरज"
सुबह का सूरज खिलती उम्मीदें,
नए जीवन की नई राह है..!

यहाँ सुख पे जलते ज़माने वाले,
ग़म की ग़ज़ल पे वाह वाह है..!

दिखावे के सभी अपने केवल,
माता पिता को असली परवाह है..!

औरों की तरह न झेलें विरह,
गिरह रिश्तों में प्रत्येक अथाह है..!

यहाँ सच के साथी कोई नहीं,
झूठ के गूँगे बहरे गवाह हैं..!

इसलिए ही ज़िन्दगी ज़हन्नुम,
तालिबानी सोच में तबाह है..!
© SHIVA KANT