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प्रेम देना सिर्फ़
प्रेम का जो स्वभाव है उसे समझना बड़ा जरुरी है। क्योंकि अगर न समझेंगे तो भिखारी ही बने रहेंगे, अन्दर ही अन्दर परेशान ही होते रहेंगे, क्योंकि आज तक पूरे संसार में यह बात लोगों को समझ नहीं आयी है, लोग रो रहें हैं, प्रेम का जो स्वभाव है वो प्रेम देना और भूल जाना है, प्यार दो और भूलो, यह याद मत रखना कि तुम किसे-किसे प्यार दे रहे हो, नहीं तो फिर फँस जाओगे। प्यार दो और भूलो बस । तुम प्यार लेने की मत सोचना क्योंकि प्यार का स्वभाव लेना है ही नहीं। तुम्हारी यह इच्छा कैसे पूरी हो सकती है । तुम प्यार देना और इतनी गहनता से देना कि लेने का प्रश्न ही दिमाग से गिर जाये । प्रेम सम्राटों के बस की बात है भिखारियों के नहीं ।
© 🌍Mr Strength