...

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ख़ुदा
तुझमें ख़ुदा देखते हैं हम,
तेरे एक झलक के इंतजार में-
ना जानें कब- कहां भटक रही हूँ में।

सभी कहते हैं : गुलजार - ऐ - इसक ,
मुकम्मल सदियों दूर हैं तेह करना।
पर ऐ मेरी साथी- तेरे लिए तो सब क़ुबूल हैं।
दर्द - ऐ-जिंदगी तेरे नाम के रोशनी,
सब मीट जाये , जब तू मिल जाए।

ऐ हमदर्द- मुलाकात की तारिक-वह - दिन तेह कर ले ।


© _silent_vocal_