...

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मसरूफियत
मिलती नहीं है फ़ुर्सत तुजे तेरे
काम से, में करती रहती हूं इंतज़ार
तेरा हर ढ़लती शाम से। ऐसी भी
क्या मसरूफियत है जो मिलने
नहीं देती मुझे मेरे प्यार से। अब समझा
दो इस मसरूफियत को वरना हो
जायेगी तक़रार मेरी मेरे यार से।