...

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सदा मुस्कराया करो
चांद की रौशनी में नहाया करो
खुश रहो तुम सदा मुस्कराया करो

नाख़ुदा तुम बनो ज़िंदगी के किसी
हर कदम साथ तुम यूं निभाया करो

ज़िंदगी खुशनुमा यूं तुम्हारी बने
तुम खुशी दूसरों पर लुटाया करो

ना अधूरी रहें ख्वाहिशें कोई भी
यूं जुनूं हद से ज़्यादा बढ़ाया करो

तिश्नगी रूह की जब भी बढ़ने लगे
प्यार तुम हर किसी पर लुटाया करो

ज़िंदगी भर रहे भागते दौड़ते
चैन के तुम भी दो पल बिताया करो

ख़्वाब पूरे करे सब तुम्हारे ख़ुदा
हाथ अपने दुआ में उठाया करो।

बहर : 212 212 212 212
© अमरीश अग्रवाल "मासूम"