...

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#दूर
#दूर
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
पता नहीं अपना है या है पराया कोई;
जाना पहचाना सा लगता है,
उसका चेहरा नूरानी सा लगता है;
दिल चाहे प्रीत लगा लूं उस से,
दिल में कहीं छुपा लूं उस को।
© सिया भारती