बंदिशों की पकड़ में...........✍🏻
बंदिशों की पकड़ में इक जकड़ी हुई कहानी हूं
मैं इसके उसके मतलबों की ख़ामोश निशानी हूं
ज़िम्मेदारियों की ज़ंजीरों में तमाम बातें समेटी है
यूं ही नहीं मैं आज भी संघर्षों की एक ज़बानी हूं
तमाम सवालों में उलझ कर ये उम्र निकाल गई
बंदिशों की पकड़ में ख्वाइशों की इक रवानी हूं
इक तमाशा हूं इस क्या हूं , क्या नहीं के खेल में
आखिर क्यों मैं इस जहां में इतनी इम्तिहानी हूं
कुछ ना...
मैं इसके उसके मतलबों की ख़ामोश निशानी हूं
ज़िम्मेदारियों की ज़ंजीरों में तमाम बातें समेटी है
यूं ही नहीं मैं आज भी संघर्षों की एक ज़बानी हूं
तमाम सवालों में उलझ कर ये उम्र निकाल गई
बंदिशों की पकड़ में ख्वाइशों की इक रवानी हूं
इक तमाशा हूं इस क्या हूं , क्या नहीं के खेल में
आखिर क्यों मैं इस जहां में इतनी इम्तिहानी हूं
कुछ ना...