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मैं तुम से ही...........✍🏻
मैं तुम से ही अपनी कहानी लिख रही हूं
इक इक अल्फ़ाज़ में निशानी लिख रही हूं
तुम से ही तो मेरी हर हंसी है हां हर खुशी है
तेरे नाम को अपनी ज़िंदगानी लिख रही हूं

वो नोंक-झोंक की बातें सिर्फ तुम से ही
मैं इंजहार की ख़ुश-बयानी लिख रही हूं
आहिस्ता आहिस्ता लबों पे इक ज़िक्र है
तुम से ही अपनी मनमानी लिख रही हूं

यूं ही नहीं ज़ज्बातों को...