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guzaarish
(1)ये कश्ती तुम्हारी तरक्की की,
तुम जहाँ चाहो वहाँ मोड़ दो,
ये गुजारिश है मेरी तुम से,
इस साहिल को साहिल पे छोड़ दो,
(2)तोडने का हुनर तो है तेरे पास,
हो सके तो ये रिश्ता यहीं तोड़ दो,
ये गुजारिश है मेरी तुम से ,
इस साहिल को साहिल पे छोड़ दो।
(3)ये शोहरतें ये दुआएँ मुबारक तुमको ,
मुझे बस मेरे हाल पे छोड़ दो,
ये गुजारिश है मेरी तुम से,
इस साहिल को साहिल पे छोड़ दो।
#poem #Shayari #poetrycommunity
© साहिल भगत
© SAHIL BHAGAT
तुम जहाँ चाहो वहाँ मोड़ दो,
ये गुजारिश है मेरी तुम से,
इस साहिल को साहिल पे छोड़ दो,
(2)तोडने का हुनर तो है तेरे पास,
हो सके तो ये रिश्ता यहीं तोड़ दो,
ये गुजारिश है मेरी तुम से ,
इस साहिल को साहिल पे छोड़ दो।
(3)ये शोहरतें ये दुआएँ मुबारक तुमको ,
मुझे बस मेरे हाल पे छोड़ दो,
ये गुजारिश है मेरी तुम से,
इस साहिल को साहिल पे छोड़ दो।
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