...

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कभी नर्म चादर में...
कभी नर्म चादर में लिपट कर मेरी बाहों में,
ख़ुद का ख़याल ना करना,
कुछ सवाल ना करना,
चंद घड़ी सिमट कर मुझमें,
बाद आरज़ू-ए-विसाल ना करना,
होश को याद ना करना,
इल्म का बयान ना करना,
मुझ में घूलकर फिर कभी,
ख़ुद का निकाल ना करना,
दर्द देना आदत-ए-महोब्बत है,
मुझे इसका ज़िम्मेदार ना करना,
तुम मुझसे लिपटी एक नारी हो,
मैं नर जो तुम्हें ये महसूस करवा रहा हूं,
इस एहसास को झूठ ना करना,
मेरे कंधो पर खरोच ना करना,
मेरे जिस्म से ख़ुद को अलायदा ना करना,
मेरी महोब्बत को महसूस करो,
यही इश्क़ है इसको हवस ना करना,
नर्म चादर में लिपट कर मेरी बाहों में,
खुद का खयाल ना करना,
कुछ सवाल ना करना
© Pavan