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मेरे गांव की माटी
सालों बाद मेरे तन ने छुई
मेरे गांव की पावन माटी

निश्छल उन्मुक्त खेलता बचपन
अल्हड़ कैशोर की चहक से गूँजता आँगन
प्रेमायुक्त बूढ़ी आँखें, गर्वित मुस्कातीं
क्षीण दृष्टि से पीढ़ियां दर्शातीं

सालों बाद मेरे तन ने छुई
मेरे गांव की पावन माटी
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