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रजस्वला......🙏
तुम अपवित्र नहीं हो स्त्री....
जिस मासिक चक्र के कारण
मेरा जन्म हुआ....
ईश्वर का जन्म हुआ....
यदि मासिक चक्र की पीड़ा
सहने वाली नारी अपवित्र है....
तो उस अपवित्रता से जन्में
ईश्वर भी अपवित्र हैं....
मैं भी अपवित्र हूँ....
सारी सृष्टि ही अपवित्र है....
तुम अपवित्र नहीं हो स्त्री....
आध्यात्म से नाता नहीं है इसका
जो मंदिरों में नहीं जाती तुम
पूजा पाठ नहीं करती तुम...
अरी बावरी.... मंदिर में ही है भगवान ??
खुद ही तो समझाती हो न
ईश्वर कण कण में है....
तो तुम जहाँ हो वहाँ है भगवान
तुम्हारे भीतर, मेरे भीतर
तुम्हारे उस मासिक चक्र के रक्त में भी
तुम अपवित्र नहीं हो स्त्री....
जीवन की मौलिक समझ का न होना
ही इस अविकसित सोंच को
उतपन्न करता है.....
तुम सशक्त हो, सम्पूर्ण हो
सृष्टि पूरक हो, जननी हो
तुम ही ईश्वर हो....
फिर अपवित्र कैसे...??
मत मानो खुद को लज्जा का पात्र
तुम हो तो संसार है अन्यथा शून्य
तुम अपवित्र नहीं हो स्त्री....
(पुरुष की नज़र से)
#women #writcopoem #writcoquotes #shaifaliकेअल्फ़ाज़
#truth #life #inspirationquotes #poem
जिस मासिक चक्र के कारण
मेरा जन्म हुआ....
ईश्वर का जन्म हुआ....
यदि मासिक चक्र की पीड़ा
सहने वाली नारी अपवित्र है....
तो उस अपवित्रता से जन्में
ईश्वर भी अपवित्र हैं....
मैं भी अपवित्र हूँ....
सारी सृष्टि ही अपवित्र है....
तुम अपवित्र नहीं हो स्त्री....
आध्यात्म से नाता नहीं है इसका
जो मंदिरों में नहीं जाती तुम
पूजा पाठ नहीं करती तुम...
अरी बावरी.... मंदिर में ही है भगवान ??
खुद ही तो समझाती हो न
ईश्वर कण कण में है....
तो तुम जहाँ हो वहाँ है भगवान
तुम्हारे भीतर, मेरे भीतर
तुम्हारे उस मासिक चक्र के रक्त में भी
तुम अपवित्र नहीं हो स्त्री....
जीवन की मौलिक समझ का न होना
ही इस अविकसित सोंच को
उतपन्न करता है.....
तुम सशक्त हो, सम्पूर्ण हो
सृष्टि पूरक हो, जननी हो
तुम ही ईश्वर हो....
फिर अपवित्र कैसे...??
मत मानो खुद को लज्जा का पात्र
तुम हो तो संसार है अन्यथा शून्य
तुम अपवित्र नहीं हो स्त्री....
(पुरुष की नज़र से)
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