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mahobbat (tala)
जिंदगी मे ना एक बार मोहब्बत होने के बाद जिंदगी दरवाजे पर लगे ताले की तरह हो जाती है ..... पता है क्यों??
जिस तरह ताला खोलने के लिए ताला की निर्भरता चाबी पर होती है इस प्रकार एक बार मोहब्बत होने के बाद जिंदगी का नियंत्रण और निर्भरता उसे शख्स पर हो जाता है......!

मेरी नजरों में देखा जाए तो ताले और चाबी की मोहब्बत में ताला ही वफा करता है
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