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धुल
#धुल
शुर धुल से घुले मिले हैं
तभी तो रण में डटे पड़े हैं;
हुंकारों से शत्रु घीघ बने पड़े है,
ये अदम्य वीरता अपनी है,
स्वच्छंद धीरता अपनी है।
भुज अपने हैं प्रचंडतम बल,
भू रक्षा को मन टिका अटल।
न डिगेंगे शृंगाल दहाडो से,
उन कौओं के चिंघाडो से।
तन धरा राष्ट्र को अर्पित है,
जीवन जय मरण समर्पित है।
शत्रु होंगें सब खण्ड खण्ड ,
भारत होगा अच्युत अखण्ड।।
अरुण कुमार शुक्ल

© अरुण कुमार शुक्ल