...

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English Subject और Students की सोच..
Syllabus कम है जल्दी हो जायेगा।
Easy subject है last में पढेंगे।
Scoring है पढ़ना तो पडेगा।
इसमें extra revision की क्या ज़रुरत?
Test मत लो direct exam में देख लेंगे।
Higher class में worksheets कौन देता है?
इसमें extra class भला क्यों लेना?
कौन-सी ये हमारी मातृभाषा है?
English में कौन fail होता है?

ये सब बोलना students के लिये बहुत ही आसान है।
पर वो लोग आने वाले result से बिल्कुल अंजान हैं।

समझाती हूं जब students के इस रवैये से परेशान हो जाती हूं।
Unfortunately मैं अपने school की PGT English कहलाती हूं।

Unfortunately इसलिये क्योंकि-
ऐसी सोच रख कर ही हमारे students English पढते हैं।
और scoring subject में ना चाहते हुये भी कम score करते हैं।

कोई भी student English subject को seriously नहीं लेना चाहता।
सही तो ये है कि English period कोई attend ही नहीं करना चाहता।

जिसे भी पढ़ने को कहो वो carelessly 'syllabus हो जायेगा' कहता है।
हर student Math, Chemistry, Physics, Accounts में ही busy रहता है।

जब भी कोई नया chapter start करना हो तो कहते हैं please कल से करना।
और कल हो तो फिर कहते हैं आज ही क्यों नया chapter start करना?

मेरे lecture में Students हर रोज़ मुह बनाकर door पर ही खड़े रहते हैं।
हर रोज़ ही हाथ जोड़ कर sports में जाने दो की विनती करते हैं।

जब मैं पढाती हूं तो back benchers अक्सर मुझसे छुपकर Math के sums करते हैं।
चिल्लाने पर पता चलता है कि कुछ तो रोज़ ही मेरे period में Chemistry के reactions याद करते हैं।

भूख भी बेचारे बच्चों को अक्सर मेरे ही lecture में लगती है।
कई बार तो आधा period सिर्फ tiffin party ही चलती रहती है।

अब Math, Physics, Chemistry, Accounts में washroom कौन जाने देता है?
'English के period में जाना' हर कोई बड़ी आसानी से कह देता है।

जब तक मैं class पहुंचू आधी class washroom पहुँच चुकी होती है।
उन बच्चों के इन्तज़ार में मेरे अंदर की teacher अब फूट-फूट कर रोती है।

English last में पढेंगे, English कौन पढता है ऐसे जुमले तो इन लोगों के लिये आम है।
फिलहाल तो मेरे period में time waste करना ही उनका एक मात्र काम है।

आपकी Teacher...








© Santoshi