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मेरे तारे
💕 मन के भाव💕

मेरे तारे

अनगिनत तारे आसमां में
रोज़ रात निहारा करती हूं
झिलमिल दिखते, मुझे समीप जो
मैं उनको पुकारा करती हूं

हैं कुछ, मेरी सुन लेते
मैं उनसे बाते करती हूं
टिम टिम करते, रिश्ते निभाते
मैं नभ को वंदन करती हूं

चमक लिए जो अंखियों में
मैं उन्हें पिरोया करती हूं
हर मोती को बांध आंचल से
मैं सागर बनाया करती हूं

दूर हुए जो मेरे अपने
झलक इनमे देखा करती हूं
भोर लालिमा संग मैं चलकर
रजनी का इंतजार करती हूं

मन की सब अपनी बातें
कह उन्हें इशारा करती हूं
मधुर मुस्कान लिए अधरों पे
फिर मिलने का वादा करती हूं❤️

रजनी भंडारी 'मन'
(स्वरचित)
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