...

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कहां से आता है
तेरे नूर के आगे कोहिनूर
भी फीका पड जाता है 
बताओ न तुम्हारे पास
इतना हुस्न कहा से आता है 

नही जचता इन आंखो को
तेरे सिवा कोई और यहाँ 
तुम्हे इतना सजना संवरना
कहाँ से आता है 

मेरी धड़कनो मे तेरी लहरे
जवाँ ही रहती है 
तेरे वजूद मे ये सागर
कहाँ से आता है 

मेरी लाख मिन्नतो के बाद
ही कहती हो दो शब्द मुझे
तुम्हे इतना खामोश रहना
कहाँ से आता है 

दो दिन भी तेरे बगैर
गुजारना है मुश्किल 
तुम्हे हाथ पकड़कर
हाथ छोड़ना कहाँ से आता है