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लक्ष्य खुद ही चल पड़ेगा
*लक्ष्य ख़ुद ही चल पड़ेगा*

ले लो थोड़ी सांस पथिक, कितना तुम चलोगे
पांवों की पीड़ाओं में तुम, कितना और पलोगे

मंजिल पाना ज़रूरी, किन्तु स्वस्थ सदा रहना
विश्राम जरा लेकर, लक्ष्य धारा के संग बहना

अवसर पाते ही स्वयं में, शक्ति करना संचित
कदमों में बल के बिना, रहोगे लक्ष्य से वंचित

केवल चलते रहने से, तुम मंजिल ना पाओगे
आधे रस्ते में ही तुम, ख़ुद को पूरा थकाओगे

लक्ष्य पाने की पहले, सम्पूर्ण योजना बनाओ
कैसे आगे बढ़ोगे तुम, उसका उपाय सुझाओ

विघ्न मिटाने की शक्ति, पहले स्वयं में भरना
तब ही उनके सामने, रण क्षेत्र में तुम उतरना

हर बाधा पार करके, अनेक अनुभव पाओगे
आगे बढ़ने की शक्ति, स्वयं में खूब बढ़ाओगे

लक्ष्य बिंदु को पाना, समझो अपना अधिकार
किंतु बाधाओं से लड़ने का, तुम पर ही प्रभार

आत्मबल जितना खुद में, इकट्ठा कर पाओगे
उतना ही आसान अपना, लक्ष्य पथ बनाओगे

लक्ष्य पाने का सपना, होगा सहज ही साकार
लक्ष्य ख़ुद ही चल पड़ेगा, करने तुम्हें स्वीकार

*ॐ शांति*

*मुकेश कुमार मोदी, बीकानेर, राजस्थान*
© Bk mukesh modi