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।।इश्क़ में हो तुम।।
अगर हंसते-खिलखिलाते और बेवजह चहचहाते हो,
तो इश्क़ में हो तुम।
अगर बेपनाह किसीको चाहते हो और ज़ाहिर नहीं कर पाते हो,
तो इश्क़ में हो तुम,
अगर पल-पल विचलित हो जाते हो और दूरियां नहीं सह पाते हो,
तो इश्क़ में हो तुम।
अगर दिल में दर्द छुपाते और जता भी नही पाते हो,
तो इश्क़ में हो तुम,
अगर एक झलक में सुकून पाते फिर सारा दिन मुग्ध हो जाते हो,
तो इश्क़ में हो तुम।
अगर दिल से भुलाना चाहते हो मगर ऐसा कर नहीं पाते हो,
तो इश्क़ में हो तुम।
अगर लाख रुस्वा होने पर भी दिल से उसे ही चाहते हो,
तो इश्क़ में हो तुम।
अगर आश्को में डूबकर भी ज़बरदस्ती मुस्कुराते हो,
तो इश्क़ में हो तुम।
अगर अंजान उसे बताकर उसके नाम भर से भी शरमाते हो,
तो इश्क़ में हो तुम।
© आशीष सिंह