अनुभवों का सफर
जुबान कुछ भी कहे, तो वो कथन बरकरार होना चाहिए
मुकर जाए गर, तो खुद के लहजे तलवार होना चाहिए
दाग छिपाए जाए, गर खूबसूरती की आड़ में
सामने आईने के, आइने को होशियार होना चाहिए
रातें है रोशन गर, सिरफ चांद की चंद तारीफों से
चांद की गैरमौजूदगी में रातों को फिर बीमार होना चाहिए
बदलते मौसम, खुशियों के ठिकाने बदलते है परिंदों के,
आसरा देते इन ठिकानों का भी एक घर बार होना चाहिए
पहाड़ नही, पत्थर देते है संभल कर चलने का सबक
क्यों न हर ठोकर के बाद पत्थर का सत्कार होना चाहिए
एक मौसम लेकर, खिल नही सकती खुशियां डाली पर,
सुनो, तुम्हे भी बदलते मौसम संग तैयार होना चाहिए।
© vibhuti
मुकर जाए गर, तो खुद के लहजे तलवार होना चाहिए
दाग छिपाए जाए, गर खूबसूरती की आड़ में
सामने आईने के, आइने को होशियार होना चाहिए
रातें है रोशन गर, सिरफ चांद की चंद तारीफों से
चांद की गैरमौजूदगी में रातों को फिर बीमार होना चाहिए
बदलते मौसम, खुशियों के ठिकाने बदलते है परिंदों के,
आसरा देते इन ठिकानों का भी एक घर बार होना चाहिए
पहाड़ नही, पत्थर देते है संभल कर चलने का सबक
क्यों न हर ठोकर के बाद पत्थर का सत्कार होना चाहिए
एक मौसम लेकर, खिल नही सकती खुशियां डाली पर,
सुनो, तुम्हे भी बदलते मौसम संग तैयार होना चाहिए।
© vibhuti