...

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क्या हुआ है आज मुझको
क्या हुआ है आज मुझको,
जो चेहरा मुस्कुरा रहा है बार-बार,
होंठ गुनगुना रहे हैं,
और अंगड़ाइयां लेने को मन कर रहा है,
कैसी यह व्यथा है कुछ भी ना समझू मैं,
बस मीठी गीत होठों पर आए बार-बार,
आंखों में कितनी प्यारी मुस्कान है,
लग रहा है जैसे इस मुस्कान में,
किसी के आने का इंतजार है,
आज क्यों खुद के सुंदरता का एहसास हो रहा है,
आज क्यों उंगलियां बिखरे हुए बालों,
को सुलझा रही है बार-बार,
आज क्यों मुझको बारिश का इंतजार है,
आज क्यों मन बोल रहा है इंतजार करूं मैं रात का,
क्यों लग रहा है मुझको आज की रात में,
महक जाएगा मेरा तन मन चंदन की खुशबू की तरह,
क्या हुआ है आज मुझको जो चेहरा मुस्कुरा रहा है बार-बार।