...

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तू नही तो ये जमीं आसमां नही
तू नही तो ये जमीं आसमां नही
कोई लकीर मेरे तेरे दरम्यां नही

तुझसे ही रोशन सूरज चांँद मेरे
मांगता मैं कोई और दुआ नही

याद तेरी सुलगाती है सीना मेरा
ये चरागा इश्क़,जिसमें धुआंँ नही

लिपटा हूंँ मैं तेरी भीगी पलकों से
तेरी आँखों सा जाविदाँ जहांँ नही

तू है तो नाचती हैं खुशियां घर में
ईटगारों का मकांँ तो बोलता नही

हो ना खफा मेरी गुस्ताखियों पर
तुझसा तो कोई भी मेहरबांँ नही

भीगना है तेरी खुशबू में उम्र भर
कर यकीं, झूठा मेरा आईना नही
© manish (मंज़र)